सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा है कि अगर विवादों को तेज गति निपाटाना है तो आर्बिट्रेशन और मीडिएशन सबसे अच्छा उपाय है। हाल ही में गोवा के वागाटोर में भारतीय मध्यस्थता परिषद (आईसीए) द्वारा आयोजित ‘वाणिज्यिक विवादों को आर्बिट्रेशन और मीडिएशन के माध्यम से न्याय में आसानी’ विषय पर आयोजित सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान को बनाए रखना अनिवार्य है।
जस्टिस कोहली ने कहा कि हमारा देश व्यवसायों और वैश्विक लेनदेन में सबसे आगे है, इन परिस्थितियों में विवाद उत्पन्न होना स्वाभाविक है। विवादों का हल निकालने के लिए सबसे तेज आसान समाधान आर्बिट्रेशन और मीडिएशन है। उन्होंने आगे कहा कि विकल्प निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है और विवादित पक्षों के बीच सुलह लाता है।
“आईसीए लंबे समय से एडीआर, विशेष रूप से आर्बिट्रेशन और मीडिएशन का प्रचार-प्रसार कर रहा है।
गोवा सम्मेलन में बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति महेश शरदचंद्र सोनक, ने कहा, “गोवा में, हमें शांति और सद्भाव की बहुत सारी परंपराओं का आशीर्वाद प्राप्त है। मुझे लगता है कि आर्बिट्रशन और मीडिएशन के संदेश को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए गोवा से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती है।”
आईसीए के महानिदेशक अरुण चावला ने कहा कि आईसीए भारत की सबसे पुरानी मध्यस्थता संस्था है, जिसकी स्थापना 1965 में हुई थी। उन्होंने कहा कि, हम देश में न्याय को आसान बनाने के लिए एडीआर का प्रचार-प्रसार करने के मिशन पर हैं। यही कारण है कि हम देश के हर कोने में जा रहे हैं, यहां तक कि विदेशों में भी, यह संदेश फैला रहे हैं कि भारत एडीआर को गंभीरता से लेने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह व्यापार और वाणिज्यिक दुनिया में आसानी लाएगा। यह देश में निवेशकों को आकर्षित करेगा और साथ ही घरेलू उद्योग के लिए जीवन को आसान बना देगा। अरुण चावला ने कहा कि आने वाले समय मुकदमेबाजी के बजाय वैकल्पिक मध्यस्थता विवादों को हल करने का प्राथमिक तरीका होगा।