केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि वह आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है।
भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि आपराधिक कानूनों में संशोधन के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है और सरकार राजद्रोह कानूनों सहित पूरे सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन करना चाहती है।
सीआरपीसी की धारा 64 को इस आधार पर चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई।
यह मामला अब जुलाई 2023 के लिए सूचीबद्ध किया गया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि समन किए गए व्यक्ति की ओर से समन प्राप्त करने के लिए महिला परिवार के सदस्यों का बहिष्कार महिलाओं के समानता और निजता के अधिकार के साथ-साथ भारत के संविधान के तहत त्वरित परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन करता है।
यह प्रावधान अन्य सभी संबंधित हितधारकों के लिए भी कठिनाइयाँ पैदा करता है और उन स्थितियों के लिए जिम्मेदार नहीं है जहाँ समन किया गया व्यक्ति केवल महिला परिवार के सदस्यों के साथ रहता है या जहाँ समन की तामील के समय उपलब्ध एकमात्र व्यक्ति महिला है।