देश में विदेशी आक्रांताओं के नाम पर शहर, सड़क, इमारतों और संस्थान के नाम बदलने के लिए आयोग बनाने की गुहार वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इसमें याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका में हजार से ज्यादा नामों का हवाला दिया गया है। रिनेमिंग कमीशन बनाने का आदेश जारी करने की अपील के लिए दाखिल इस याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21,25 और 29 का हवाला देते हुए ऐतिहासिक गलतियों के सुधार की बात भी कही गई है। इस सिलसिले में औरंगजेब रोड, औरंगाबाद, इलाहाबाद, राजपथ जैसे कई नामों में बदलाव कर उनका स्वदेशीकरण करने का जिक्र किया गया है।
ऐतिहासिक गलतियों को ठीक करने के लिए उन्होंने कई कोर्ट के कई निर्णयों का भी उल्लेख किया है। एम सिद्दीक और अन्य बनाम महंत सुरेश दास और अन्य प्रमोद चंद्र देब बनाम ओडिशा राज्य, केसी गजपति नारायण देव बनाम ओडिशा। याचिका में ये प्रश्न भी उठाए गए हैं कि क्या प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों का नाम बर्बर आक्रमणकारियों के नाम पर जारी रखना संप्रभुता के विरुद्ध है?
इन कई सवालों वाली याचिका में कहा गया है कि हाल ही में सरकार ने राष्ट्रपति भवन में बने मुगल गार्डन का नाम अमृत उद्यान किया है। लेकिन दिल्ली में अभी भी इस तरह की बहुत सी जगहें हैं, जो विदेशी आक्रांताओं के नाम पर हैं और वहां नेता से लेकर न्यायाधीश तक रहते हैं। बाबर रोड, हुमायूं रोड, अकबर रोड, जहांगीर रोड, शाहजहां रोड, बहादुर शाह रोड, शेरशाह रोड, औरंगजेब रोड, तुगलक रोड, सफदरजंग रोड, नजफ खान रोड, जौहर रोड, लोधी रोड, चेम्सफोर्ड रोड और हैली रोड के नाम नहीं बदले गए हैं। भगवान कृष्ण और बलराम के आशीर्वाद से पांडवों ने खांडवप्रस्थ (निर्जन भूमि) को इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) में परिवर्तित कर दिया, लेकिन उनके नाम पर एक भी सड़क, नगरपालिका वार्ड, गांव या विधानसभा क्षेत्र नहीं है। भगवान कृष्ण, बलराम, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, कुंती, द्रौपदी और अभिमन्यु जैसे राष्ट्रीय और सांस्कृतिक नायक नायिकाओं का कोई जिक्र तक नहीं है।
विदेशी आक्रांताओं के नाम पर सड़कें, नगरपालिका वार्ड, ग्राम एवं सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जो न केवल सम्प्रभुता के विरुद्ध है बल्कि इससे संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए गरिमापूर्ण जीवन जीने के साथ अपना धर्म संस्कृति को बचाए व बनाए रखने के मौलिक अधिकार का हनन भी है।
ऐतिहासिक ‘अजातशत्रु नगर’ का नाम बर्बर “बेगू” के नाम पर रखा गया था और ‘बेगूसराय’ कहा जाता था। प्राचीन शहर ‘नालंदा विहार’ का नाम अक्रांता शरीफुद्दीन के नाम पर बिहार शरीफ कर दिया गया।
बिहार में ही मिथिलांचल के सांस्कृतिक शहर ‘द्वार बंग’ का नाम बदल कर क्रूर ‘दरभंग खान’ के कारण ‘दरभंगा’ हो गया। धार्मिक शहर ‘हरिपुर’ का नाम ‘हाजी शम्सुद्दीन शाह’ने बदलकर हाजीपुर कर दिया।
‘सिंहजनी’ का नाम ‘जमाल बाबा’ के नाम पर ‘जमालपुर’ हुआ। वैदिक शहर ‘विदेहपुर’ का नाम बर्बर मुजफ्फर खान के नाम पर ‘मुजफ्फरपुर कर दिया गया। मुगलिया हुकूमत और फिर ब्रिटिश हुकूमत ने अपने अपने जुल्म जोर का लोहा मनवाने और मूल भारतीय नागरिकों का मनोबल तोड़ने के साथ उनके गरिमापूर्ण जीवन पर ग्रहण लगाने के मकसद से देश के लगभग सभी राज्यों में शहरों, सड़कों और इमारतों व संस्थानों के नाम हटाकर अपने नाम किए गए। अहमदाबाद शहर का नाम महाभारत के हीरो कर्ण के नाम पर कर्णावती को हटाकर रखा गया। याचिका में ऐसे ही हजार से ज्यादा ऐतिहासिक नामों का उद्धरण दिया गया है जिनको विदेशी आक्रांताओं जैसे मुगलों, अफगानों, अंग्रेजों ने बदल कर हमारी संस्कृति और इतिहास को मिटाने की कोशिश की है।