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रामचरितमानस पर टिप्पणीः कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाई

रामचरितमानस, स्वामी प्रसाद मौर्य,

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तुलसीदास के रामचरितमानस के बारे में उनकी कथित विवादास्पद टिप्पणी से संबंधित एक मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी कर मामले में उसका जवाब मांगा है।
मौर्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने तुलसीदास के ‘रामचरितमानस’ के खिलाफ टिप्पणी के मामले से संबंधित प्रतापगढ़ जिला अदालत में कानूनी कार्यवाही को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति मेहता ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से सवाल करते हुए कहा, “यह उनकी (मौर्य की) राय है। यह कैसे अपराध है?”
यूपी के पूर्व मंत्री मौर्य पर यह बयान देने का आरोप लगा कि रामचरितमानस की कुछ “चौपाई” ने समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग का अपमान किया है और उस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कथित तौर पर दावा किया कि तुलसीदास द्वारा लिखित पवित्र हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को उनकी जातियों का नाम देकर और उन्हें “शूद्र” कहकर अपमानित किया गया है।
नवंबर 2023 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरोप पत्र और अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद, मौर्य के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने के लिए पर्याप्त आधार पाया। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मौर्य को निचली अदालत में मुकदमा चलाना चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि जन प्रतिनिधियों को ऐसे कार्यों से बचना चाहिए जो सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर सकते हैं।
मौर्य की टिप्पणी के बाद, उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना और वर्गों के बीच दुश्मनी, नफरत या दुर्भावना को बढ़ावा देने वाले बयान देना शामिल है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि मौर्य की टिप्पणियों के कारण पूरे भारत में अन्य नेताओं द्वारा रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गईं, जिससे क्रोध और अशांति का माहौल पैदा हुआ।
मौर्य ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित था और इसमें पर्याप्त सबूतों का अभाव था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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