समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ में सोमवार को होने वाली सुनवाई टल गई है। शुक्रवार देर रात सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एस. रविंद्र भट की अनुपलब्धता की वजह से सोमवार को संविधान पीठ में सुनवाई नहीं हो सकेगी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एस. रविंद्र भट दोनों ही न्यायाधीश उस संविधान पीठ का हिस्सा हैं, जो समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस संविधान पीठ में इन दोनों न्यायाधीशों के अलावा प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
इसी गुरुवार को जस्टिस चंद्रचूड़ ने संकेत दिए थे कि उनकी अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ सोमवार को एक घंटे पहले ही कार्यवाही शुरू करेगी। जस्टिस नरसिम्हा के साथ पीठ में बैठे जस्टिस चंद्रचूड़ ने उस वक्त कहा था, ‘हम थोड़ा जल्दी बैठेंगे, ताकि हम कुछ तात्कालिक मामलों को सुन सकें। संविधान पीठ को 10.30 बजे बैठना है। इसलिए अन्य मामलों के लिए हम 9.30 बजे बैठ सकते हैं।’
इससे पहले समलैगिंक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं का केंद्र सरकार ने विरोध किया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि सेम-सेक्स शादी एक शहरी संभ्रांत अवधारणा है जो देश के सामाजिक लोकाचार से बहुत दूर है, ऐसे में इसे कतई मान्यता नही दी जा सकती है। केंद्र सरकार ने कहा विषम लैंगिक संघ से परे विवाह की अवधारणा का विस्तार एक नई सामाजिक संस्था बनाने के समान है। केवल संसद ही व्यापक विचारों और सभी ग्रामीण, अर्ध-ग्रामीण और शहरी आबादी की आवाज, धार्मिक संप्रदायों के विचारों और व्यक्तिगत कानूनों के साथ-साथ विवाह के क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले रीति-रिवाजों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सकती है।