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अदालत की टिप्पणी सिद्धांत, निष्पक्षता और संयम पर आधारित होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक बेहद जरूरी न हो अदालतें सरकारी अधिकारियों के खिलाफ विपरीत टिप्पणी करने से बचें।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा, कोर्ट की टिप्पणी हमेशा न्याय के सिद्धांत, निष्पक्षता व संयम पर आधारित हो। इतना ही नहीं शब्दों के चयन में गंभीरता और संयम होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणी पंजाब के आबकारी और कराधान विभाग के अफसरों की ओर से एक निजी कंपनी की दुकान सील करने के मामले में सुनवाई के दौरान कही।

कंपनी ने कार्रवाई को अवैध करार देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने विभाग के सहायक आयुक्त ऋषिपाल सिंह को गलत हलफनामा पेश करने का दोषी ठहराते हुए उसके खिलाफ आपराधिक मामला शुरू करने और मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि संबंधित अधिकारी न तो मामले में पक्षकार था न ही उसे कारण बताओ नोटिस दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गैरजरूरी टिप्पणियों में हमारी वर्दी में निहित शक्ति के कारण न्यायाधीशों की स्वतंत्रता को खतरे में डालने और समझौता करने की क्षमता है।इतना ही नहीं यह कर्मियों को कर्तव्य का पालन करने से रोक सकती हैं।

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About the Author: Neha Pandey

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