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वी. सेंथिल बालाजी को सरकारी अस्पताल से निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने के खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट पहुंची

Supreme Court-

प्रवर्तन निदेशालय ने तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद सरकारी अस्पताल से चेन्नई के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि बालाजी एक प्रभावशाली मंत्री हैं। जस्टिस सूर्यकांत और एमएम सुंदरेश की अवकाश पीठ 21 जून को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई।

बिजली-मद्यनिषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री बालाजी को सीने में दर्द की शिकायत के बाद 14 जून को गिरफ्तार कर लिया गया और चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय ने 15 जून को अपनी पसंद के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी।
बाद में उन्हें तमिलनाडु सरकार के मल्टी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से अलवरपेट के कावेरी अस्पताल ले जाया गया। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बाइपास सर्जरी की सलाह दी है।

उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश मंत्री की पत्नी मेघला द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें जांच एजेंसी के अधिकारियों पर दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत गिरफ्तारी के आधार की सूचना देने जैसी उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया था। उनकी पत्नी चाहती थीं कि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने में ईडी की विफलता के लिए गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाए।

ईडी ने 2021 में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दायर एक प्रवर्तन मामला सूचना रजिस्टर (ईसीआईआर) के संबंध में बालाजी को गिरफ्तार किया था।
2015 में जब वह जयललिता के मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री थे, तब कैश-फॉर-जॉब मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए स्थानीय पुलिस द्वारा 2018 में दर्ज की गई तीन प्राथमिकियों के आधार पर ईसीआईआर दर्ज किया गया था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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