सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है, याचिका में श्रेणी टू बी के तहत मुसलमानों को लगभग तीन दशक से दिए जा रहे 4 फीसदी ओबीसी आरक्षण को रद्द करने के कानून को चुनौती दी गयी है।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच 9 मई को इस मामले की सुनवाई करेगी। कर्नाटक सरकार ने 4 फीसदी आरक्षण को समाप्त कर वीरशैव-लिंगायतों और वोक्कालिगाओं को 2-2 % आरक्षण दे दिया था। पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने वोक्कालिगा और लिंगायत समूहों की ओर से तर्क दिया कि मुद्दा केवल आरक्षण का नहीं है बल्कि एक अलग समुदाय को आरक्षण आवंटित करने का भी है। उन्होंने दावा किया कि राजकीय अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से लिंगायतों और वोक्कालिगाओं की भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इससे पहले अदालत ने कहा था कि राज्य में मुस्लिम लंबे समय से इस आरक्षण का लाभ हासिल कर रहे थे… आरक्षण खत्म करने का आदेश प्रथम दृष्टया गलत धारणा पर आधारित प्रतीत होता है… कोर्ट ने कहा था कि राज्य के फैसले की बुनियाद ‘त्रुटिपूर्ण और अस्थिर’ लगती है।
दरसअल बेल्लारी के रहने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति ने राज्य सरकार के.. मुस्लिम कोटा खत्म करने के.. फैसले के खिलाफ.. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।