सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शादी के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यह मामला विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और यह संसद को उम्र तय करने के लिए कानून बनाने का निर्देश देगा। दरसअल शाहिदा कुरैशी द्वारा दायर याचिका में पुरुषों के बराबर महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करने की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उसने फरवरी में इसी तरह की याचिका खारिज कर दी थी। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिका पर फैसला कानून बनाने के समान होगा क्योंकि यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। उस याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि हमने 20 फरवरी, 2023 को इसी तरह के मामले का फैसला किया है और इस तरह याचिका खारिज कर दी थी।