भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मणिपुर से सामने आए एक व्यथित करने वाले वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया है। सीजेआई ने घटना पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कोर्ट में तलब किया है। बीती शाम मणिपुर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें दो महिलाओं के यौन हिंसा की जा रही थी। सैकड़ों लोगों के बीच उन दोनों महिलाओं की परेड निकाली गई। इस भीड़ में पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल थीं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ इस शर्मनाक मामले पर टिप्पणी की कि, “हम कल सामने आए वीडियो से बहुत परेशान हैं, जिसमें मणिपुर में दो महिलाओं के साथ भयावह व्यवहार दिखाया गया है। हम अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। यह जरूरी है कि सरकार तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करे। ऐसे कृत्य बिल्कुल स्वीकार्य नहीं हैं।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि सामुदायिक संघर्ष वाले क्षेत्र में लैंगिक हिंसा भड़काने के लिए महिलाओं को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना बेहद परेशान करने वाला और मानवाधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोर्ट को अच्छी तरह पता है कि वीडियो की तारीख 4 मई है, लेकिन इसका मामले की गंभीरता पर फर्क नहीं पड़ता है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि “हम सरकार को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कुछ समय देंगे; हालांकि, यदि अपर्याप्त कदम उठाए गए, तो अदालत हस्तक्षेप करेगी,” सीजेआई ने अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए मई के बाद से अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाइयों का विवरण मांगते हुए चेतावनी दी। न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि क्या यह एक अलग घटना थी या व्यापक पैटर्न का हिस्सा थी।