बाहुबली मुख़्तार अंसारी द्वारा जेलर को धमकाने और पिस्तौल तानने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सात साल कैद की सजा के आदेश के खिलाफ दायर ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 जनवरी को सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ संभवत: उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के आदेश के खिलाफ अंसारी की अपील पर सुनवाई करेगी।
उच्च न्यायालय ने 21 सितंबर को मामले में गैंगस्टर- नेता मुख्तार अंसारी को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था और उसे धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी पाया था। ।
उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दो बार सहित लगातार छह चुनावों में मऊ से विधायक चुने गए थे) को धारा 353 के तहत अपराध के लिए दो साल के कठोर कारावास और 10,000 रुपये का जुर्माना और धारा 504 के तहत अपराध के लिए दो साल की जेल और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने अंसारी को सात साल की सजा भी सुनाई थी। अदालत ने धारा 506 के तहत अपराध के लिए अंसारी को सात साल की जेल की सजा सुनाते हुए 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
मामला 2003 का है, लखनऊ जिला कारागार के जेलर एस.के अवस्थी ने 2003 में आलमबाग पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अंसारी से मिलने आए लोगों की जांच का आदेश देने पर उन्हें धमकाया गया था। इसके अलावा, अवस्थी ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्तार अंसारी ने उन पर पिस्तौल तान दी थी और उनके साथ दुर्व्यवहार किया था।
कथित मामले में ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था जबकि सरकार ने उसी के लिए अपील दायर की थी।
मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि अंसारी एक खूंखार अपराधी और माफिया डॉन के रूप में प्रतिष्ठित है, जिसके खिलाफ जघन्य अपराधों के 60 से अधिक मामले दर्ज हैं।
आपको बता दे की अंसारी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दो बार सहित लगातार छह चुनावों में मऊ से विधायक चुने गए थे। वह अन्य अपराधों सहित कृष्णानंद राय हत्या के मामले में मुख्य आरोपी थे।