सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि सरकारी कर्मचारियों ओवरटाइम काम करने की एवज में पैसे के भुगतान के हकदार नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की समय-समय पर वेतन आयोग की सिफारिशों के जरिये सैलरी खुद ही बढ़ जाती है लेकिन ठेके पर काम करने वाले कर्मियों के साथ ऐसा नहीं होता है। इसके अलावा सरकारी कर्मियों को कुछ अन्य विशेषाधिकार भी मिलते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कर्मचारियों ने दावा किया कि उन्हें शारीरिक काम करना पड़ता है और वे ओवरटाइम भत्ते के हकदार हैं। अदालत ने उनके एसीआर की जांच की। कोर्ट ने “सिविल पदों पर या राज्य की सिविल सेवाओं में रहने वाले व्यक्ति कुछ विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं। अदालत ने कहा कि मौलिक नियमों और पूरक नियमों (1922) के नियम 11 में कहा गया है, “जब तक किसी भी मामले में अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, सरकारी सेवक का पूरा समय सरकार के नियंत्रण में होता है जो उसे भुगतान करती है। वह किसी भी तरह से नियोजित हो सकता है। ऐसे में उसका अतिरिक्त पारिश्रमिक का दावा नहीं होगा।दअरसल सुप्रीम कोर्ट ने ओवरटाइम भत्ते के मुद्दे पर सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और उसके कर्मचारियों के बीच विवाद पर यह फैसला सुनाया है।