निर्वाचन आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति से केंद्र को रोकने की मांग वाली काँग्रेस नेत्री जया ठाकुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो जल्द ही इसे लिस्ट करने पर विचार करेंगे।कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने इस याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती दी है।
चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे और अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति के बाद चुनाव आयुक्तों की दो रिक्तियां पैदा हुई हैं। इन रिक्तियों पर नियुक्तियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाला पैनल 15 मार्च तक नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर सकता है।
याचिका में जया ठाकुर ने अदालत को बताया है कि उनकी याचिका के लंबित रहने के दौरान, 12 जनवरी को एक नोटिस जारी किया गया था, इसी दौरान चुनाव आयोग के एक सदस्य अरुण गोयल ने 9 मार्च, 2024 को इस्तीफा दे दिया।
“याचिकाकर्ता ने कहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव की घोषणा शीघ्र ही की जा सकती है, इसलिए नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तुरंत आवश्यक है।
“इसलिए, सुप्रीम कोर्ट से रिक्वेस्ट है कि वो प्रतिवादियों को अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ के मामले में इस अदालत द्वारा पारित फैसले के अनुसार भारत के सदस्य चुनाव आयोग को तुरंत नियुक्त करने का निर्देश देने की कृपा करे।
इस याचिका में “प्रतिवादियों को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023 की धारा 7 और 8 के अनुसार सदस्य नियुक्त नहीं करने से रोकने” का निर्देश देने की मांग की गई है।
नए कानून के अनुसार, “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति जिसमें प्रधान मंत्री – अध्यक्ष, सदन में विपक्ष के नेता और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होगा। इससे नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव हो सकता है। यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इलेक्शन कमीशनर्स की नियुक्ति पैनल से सीजेआई को हटाकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी की है।