सुप्रीम कोर्ट 1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कानून (Place of Worship Act) के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर अब जुलाई में सुनवाई करेगा। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि अभी तक केंद्र सरकार ने इन मामले में जवाब दाखिल नही किया है। जिसपर कोर्ट ने कहा कि वो कि तीन जजों की पीठ जुलाई में इस मामले की सुनवाई करेगा।
दरसअल सुप्रीम कोर्ट में आठ से ज्यादा जनहित याचिकाएं दाखिल कर 1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनोती दी गई है।
दरसअल 1991 में लागू किया गया यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है। इतना ही नही यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है।
प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार 1991 में लेकर आई थी।