ENGLISH

‘पुरौला की महापंचायत पर रोक नहीं, प्रशासन पर भरोसा जरूरी’- सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड में आगामी महापंचायत के दौरान संभावित नफरती भाषा के संभावित उपयोग के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाश पीठ ने याचिकाकर्ता को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी और इस मामले को हल करने की हाईकोर्ट की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया।
“उच्च न्यायालय पर अविश्वास क्यों? उनका भी अधिकार क्षेत्र है। आपको कुछ भरोसा होना चाहिए। यह शॉर्ट सर्किटिंग क्यों, हम मेरिट पर बात नहीं कर रहे हैं। हमारा सवाल है कि  आप प्रशासन पर अविश्वास क्यों करते हैं?” अवकाश पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा।

सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने  याचिका वापस ले ली। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि वो चाहे तो उत्तराखण्ड  उच्च न्यायालय में याचिका लगा सकता है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट शाहरुख आलम ने बुधवार सुबह मामले का उल्लेख यह तर्क देते हुए किया कि नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ इसी अदालत के आदेश को ध्यान में रखते हुए याचिका पेश की गई है।

दरअसल, उत्तरकाशी में सांप्रदायिक तनाव के बीच कल पुरोला में महापंचायत होने वाली है।  इस मामले में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स का तर्क है कि नफरती भाषा की घटना को आगे बढ़ने की अनुमति दी गई तो  पहले से बढ़े हुए सांप्रदायिक तनाव और बढ़ जाएंगे।

“जिला अधिकारी इस  न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं कि एक आपराधिक मामला स्थापित नहीं किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से हस्तक्षेप करने और भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव के सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया।

याचिका में कहा गया था कि “तत्काल याचिका उत्तराखंड में पैदा हो रही सांप्रदायिक हिंसा और उन्माद को रोकने के लिए दायर की जा रही है, जो एक समुदाय को प्रभावित कर रही है। तत्काल रिट याचिका रैली के आयोजनकर्ताओं के खिलाफ निर्देश मांगती है कि वे सांप्रदायिक रूप से भड़के हुए माहौल, सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए आवश्यक निवारक उपाय करके अपने वैधानिक कर्तव्य का पालन करें।” और उपचारात्मक कदम और यह सुनिश्चित करने के लिए कि “देवभूमि” की रक्षा के नाम पर देश के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में नागरिकों का जबरन पलायन नहीं हो।,

याचिका में रैली के आयोजनकर्ताओं से आवश्यक कानूनी उपायों को लागू करने के अलावा शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया है, जैसे कि संभावित पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान करना और अभद्र भाषा की घटना को रोकना। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने एक आपराधिक शिकायत दर्ज करने और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।

गौरतलब है कि अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस को हेट स्पीच के मामलों में स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, चालू वर्ष के अप्रैल में, इस आदेश का दायरा देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल करने के लिए बढ़ा दिया गया था।

Recommended For You

About the Author: Yogdutta Rajeev

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *