सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें राम सेतु के दोनों तरफ एक दीवार बनाने और इसे राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एस.के. की पीठ कौल और सुधांशु धूलिया ने कहा कि ऐसे प्रशासनिक मामलों को सरकार पर छोड़ दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता को ज्ञापन देना चाहता है तो हम उसे रोकेंगे नही।
हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा के अध्यक्ष अशोक पांडे के माध्यम से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया कि केंद्र सरकार राम सेतु के प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम उठाने में विफल रही है।
गौरतलब है की शीर्ष अदालत ने राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के लिए पूर्व भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर इसी तरह की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
इस साल जनवरी में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार इस मुद्दे की जांच कर रही है और यह प्रक्रिया फिलहाल केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में चल रही है।
राम सेतु, जिसे एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पंबन द्वीप या रामेश्वरम द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है।