नोटबंदी के केंद्र के 2016 के फैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। एमएल शर्मा उन 58 याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण को चुनौती दी थी। अधिवक्ता शर्मा ने याचिका में कहा है कि संविधान पीठ ने अपने फैसले में उनके “लिखित तर्कों” पर विचार नहीं किया है।
2 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण के फैसले को बरकरार रखा। 8 नवंबर, 2016 को जस्टिस एस अब्दुल नजीर (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 4:1 के वोट से फैसले को बरकरार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि “अदालतें आर्थिक नीति के ऐसे मामलों पर फैसले में नहीं बैठ सकती हैं।” उन्होंने कहा था कि निर्णय लेने की प्रक्रिया न तो त्रुटिपूर्ण थी और न ही जल्दबाजी। हालांकि, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने फैसले से असहमति जताई क्योंकि उन्हें लगा कि नोटबंदी की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के सभी नोटों को रद्द करने की सिफारिश करने में कोई स्वतंत्र निर्णय नहीं लिया, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
नोटबंदी को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस फैसले को केवल इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था।