तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के साथ कथित भेदभाव और हिंसा के मामले में तमिलनाडु पुलिस द्वारा बीजेपी नेता प्रशांत उमराव के खिलाफ दर्ज मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
प्रशांत उमराव पर आरोप है कि उन्होंने तमिलनाडु के कुछ ऐसे कथित वीडियो वायरल किए हैं जिसमें हिस्सों बिहार के श्रमिकों के साथ हिंसात्मक व्यवहार किया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने इन वीडियोज को फर्जी करार दिया है।
इन्हीं आरोपों में तमिलनाडु की पुलिस ने प्रशांत उमराव के खिलाफ अलग-अलग स्थानों पर एफआईआर दर्ज की है। प्रशांत उमराव ने अलग-अलग राज्यों में दर्ज सभी FIR को क्लब करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट प्रशांत उमराव की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार। कोर्ट 6 अप्रैल को याचिका पर करेगा सुनवाई।
प्रशांत उमराव ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया था कि बिहार के 12 प्रवासियों को हिंदी में बोलने के लिए तमिलनाडु में लटका दया गया था।
जिसके बाद तमिलनाडु पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ फेक न्यूज फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। तमिलनाडु पुलिस पहले ही कह चुकी है कि इज़ संबंध में सोशल मीडिया पर जो वीडियो शेयर किए गए वो फर्जी और भ्रामक था।