सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में औरंगाबाद शहर का नाम बदल कर छत्रपति संभाजी नगर करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार करने से बुधवार को इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सरकार के लोकतांत्रिक दायरे में आता है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि यह विषय बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है। पीठ ने कहा कि हम इस विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। हमें यह पसंद हो या नहीं, लेकिन यह सरकार के लोकतांत्रिक क्षेत्र में आता है। शहरों, सड़कों आदि का नाम चुनने वाले भला हम कौन होते हैं? यह निर्वाचित कार्यपालिका की शक्ति है।
हालांकि अभी इस मामले में यह देखना बाकी है कि बॉम्बे हाईकोर्ट का क्या रुख रहता है। क्या वो सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए शहरों के नाम बदलने का अधिकार विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आने की बात कह कर याचिका खारिज कर देता है या फिर कोई नई नजीर देकर औरंगाबाद के नाम को यथावत रखे जाने का आदेश पारित करता है। हालांकि संभावना यही है कि बॉम्बे हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद बहुत संयत आदेश ही जारी करेगा।