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घरेलू हिंसा से पीड़ित पुरुषों के लिए कानून की मांग वाली याचिका खारिज

Supreme Court

घरेलू हिंसा से पीड़ित विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश देने (कानून बनाने) की मांग वाली याचिका को याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह शादी के तुरंत बाद मरने वाली युवा लड़कियों का डेटा दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कोई भी आत्महत्या नहीं करना चाहता, यह व्यक्तिगत मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है। आपराधिक कानून देखभाल करता है, उपचार नहीं करता।

यह याचिका अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी द्वारा दायर की गई थी। याचिका में देश में दुर्घटनावश मौतों के संबंध में 2021 में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला दिया गया है।

इसमें यह उल्लेख किया गया है कि उस वर्ष देशभर में एक लाख 64 हजार 33 लोगों ने आत्महत्या की। याचिका में कहा गया कि इनमें विवाहित पुरुषों की संख्या 81 हजार 63 थी, जबकि 28 हजार 680 विवाहित महिलाएं थीं।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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