सुप्रीम कोर्ट ने एक बर्खास्त जज की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। दिल्ली के बर्खास्त जज ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हरिकिशन रॉय और पंकज मित्तल की बेंच में याचिका दायर कर राहत मांगी थी मगर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
दरअसल, बर्खास्त जज और उनकी पत्नी 2016 में विदेश यात्रा पर गए थे। जब वो वापस लौटे तो अपने बॉस को रिपोर्ट देते वक्त फंस गए। उनके द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों में होटल बुकिंग में तथ्य छिपाए गए थे। दस्तावेजों छिपाया गया था विदेश यात्रा के दौरान 5 सितारा होटल रुकने और भोजन इत्यादि के बिल का भुगतान किसने किया। जांच अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार, बर्खास्त जज के होटल का बिल किसी अजनबी व्यक्ति ने चुकाया था।
इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जज को बर्खास्त कर दिया। हाई कोर्ट के मुताबिक जज को यह याद रखना चाहिए कि वह जज हैं और उन्हें भी कोई ‘जज’ कर रहा है। बर्खास्त जज ने अपने बचाव में कहा कि जिस व्यक्ति ने उनके होटल के बिल का भुगतान किया वह उनके भाई का परिचित था। उन्होंने कहा कि उन्हें होटल का बिल चुकाने वाले व्यक्ति का कर्ज चुकाना था। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उन्होंने विदेश में रहते हुए पैसे वापस करने का प्रयास किया, लेकिन बिल का भुगतान करने वाले व्यक्ति ने कहा कि वह अपनी वापसी पर खर्च किए गए सभी पैसे वापस ले लेंगे।
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, न्यायाधीश ने एक अजनबी से एहसान लेने की बात स्वीकार की। हालाँकि, वह यह बताने में असमर्थ था कि उसने ऐसा क्यों किया। यह अकेले ही न्यायाधीश को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है। हाई कोर्ट के मुताबिक अगर कार्रवाई नहीं की गई तो गलत संदेश जाएगा।