बिना पहचान 2000 रुपये के नोट को बदलने के खिलाफ दाखिल याचीका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याया ने सुप्रीम कोर्ट जी वेकेशन बेंच से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई। जिसपर कोर्ट याचिकाकर्ता को कहा आप शुक्रवार को मामले पर जल्द सुनवाई की मांग करे।
उपाध्याय ने आरबीआई के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें बैकों में बिना आईडी इन नोटों को बदला जा रहा है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार का यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद इस याचीका को खारिज कर दिया था।
उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा गया कि 2000 के नोट बिना किसी पहचान प्रमाण के बैंक में जमा करना या एक्सचेंज करना मनमाना, तर्कहीन और देश के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। अश्विनी उपाध्याय ने आरबीआई और एसबीआई को निर्देश देने की मांग की है कि 2000 के नोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा जाए, ताकि कोई भी दूसरा बैंक खातों में पैसा जमा न कर सके और कालाधन और आय से अधिक संपत्ति रखने वाले लोगों की पहचान आसानी से हो सके।
इतना ही नही याचीका में भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए केंद्र को काले धन और आय से अधिक संपत्ति धारकों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की है।
दरसअल रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट को प्रसार से बाहर करने का ऐलान करते हुए नोटिफिकेशन में कहा था कि इन्हें 23 मई से बैंकों में बदलवाया जा सकता है। रिजर्व बैंक के अनुसार, 31 मार्च 2018 को 2000 रुपये के नोटों का प्रसार 6.73 लाख करोड़ रुपये के बराबर था, जो 31 मार्च 2023 को कम होकर 3.62 लाख करोड़ रुपये पर आ चुके हैं। ये नोट प्रसार के सभी नोटों का केवल 10.8 फीसदी हिस्सा हैं।