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भ्रामक विज्ञापन केसः SC ने बाबा रामदेव को लगाई फटकार, फिर देंगे हलफनामा, 16 को सुनवाई

Ramdev SC

भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को जमकर फटकार लगाई। उनका हलफनामा स्वीकार करने से इंकार कर दिया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड सरकार और आयुष विभाग को फटकारा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उत्तराखण्ड के आयुष विभाग के डायरेक्टर को इस बारे में अपना जवाब दाखिल करना होगा। कोर्ट ने गर्म महौल को देखकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सांस रोके खड़े रहे। जब कोर्ट ने कहा कि अब आगे की कार्रवाई के लिए तैयार रहें, एक बारगी कोर्ट में सन्नाटा छा गया।

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने दोनों की ओर से माफी मांगी और  कहा कि वो सार्वजनिक माफीनाम देने को तैयार हैं। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 अप्रैल के लिए निर्धारित की तथा रामदेव औऱ आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत तौर पर पेश रहने की हिदायत दी।

इसी बीच एक इंटरवेंशन याचिका भी लगाई गई थी। जिसमें कहा गया था कि बाबा रामदेव की दवाईयां लेने से उनकी मां की मृत्यु हो गयी थी, इसलिए उन्हें भी इस मुकदमे का फरीख बनाया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपकी मां के निधन को कई साल गुजर चुके हैं। अभी तक आप कहां थे। इस समय केवल प्रचार के लिए आपको इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। यह कह कर सुप्रीम कोर्ट ने इंटरवेंशन याचिका खारिज कर दी।

भ्रामक विज्ञापन और हलफनामा मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से  कड़ी फटकार सुनने को मिली है। । सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाबा रामदेव का हलफनामा केवल कागज का टुकड़ा है। हम ये हलफनामा ठुकरा रहे हैं। हम केंद्र सरकार से जवाब से भी संतुष्ट नहीं है।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसान उद्दीन अमानुल्लाह की बेंच केस की सुनवाई कर रही है। बेंच ने उत्तराखण्ड सरकार के ड्रग्स इंस्पेक्टर्स के रवैये पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि इन अफसरों को तत्काल निलंबित किए जाने की जरूरत है। बेंच ने उत्तराखण्ड सरकार से पूछा कि छह बार ऐसा हुआ है। क्या यह कर्तव्य का अपमान नहीं है। क्या औषधि निरीक्षण अधिकारी ऐसे ही कार्य करते हैं। इन्हें अभी निलंबित किया जाना चाहिए। अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। बस फाइल पर बैठे रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब आगे की कार्रवाई के लिए तैयार रहें। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि आपने एक्ट के अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बाद भी विज्ञापन कैसे जारी रहे। कोर्ट ने यह भी पूछा कि आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चल रही है और आप पेशी से छूट मांग रहे हैं। बहरहाल, बार-बार माफी मांगने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 16 तारीख को निर्धारित की और निर्देश दिए कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों कोर्ट में उपस्थित रहेंगे।

पतंजलि के केस में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि यह मामला केवल यहीं तक सीमित नहीं है। वो सभी लोग फर्जी विज्ञापन के सहारे अपने प्रोडक्ट बेच रहे हैं वो सब इसकी परिधि में आते हैं। कोर्ट की कार्रवाई के बाद जब बाबा रामदेव बाहर निकले तो उनके चेहरे पर चिंता की रेखाएं और तनाव साफ देखा जा सकता था। उसका एक कारण है कि कोर्ट ने ड्रग इंस्पेकटर्स से पूछा था कि उन्होंने 9 महीने में अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। कोर्ट ने लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी आड़े लिया था। उत्तराखण्ड सरकार के अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में हाथ जोड़कर माफी मांगी और कार्रवाई का वचन दिया। कोर्ट में उत्तराखण्ड सरकार के अफसरों के इस तरह के बयान देने से समझा जा रहा है कि पतंजलि के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के लिए आने वाले सात काफी कठिन साबित होने वाले हैं। 16 अप्रैल को जब एक बार बाबा-बाबा रामदेव औऱ आचार्य बालकृष्ण के साथ सभी पक्ष कोर्ट के सामने होंगे तो उत्तराखण्ड सरकार के अफसर उन कागजों को भी पेश करेंगे जिनमें पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की गई हो सकती है।

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About the Author: Yogdutta Rajeev

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