सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनावों में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा स्थापित करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें कहा गया कि ऐसे मुद्दे विधायी नीति के अंतर्गत आते हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने टिप्पणी की, “ये नीतिगत मामले हैं। हम इस तरह की याचिका पर कैसे विचार कर सकते हैं।”
पीठ हरियाणा के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा खर्च की गणना और निर्धारण सहित विभिन्न निर्देशों की मांग की गई थी। याचिका में नामांकन से पहले मुद्रित और वितरित वस्तुओं पर खर्च को प्रतिबंधित करने और नामांकन दाखिल करने के दौरान आयोजित रैलियों के खर्च की गणना करने का भी उद्देश्य था।
पीठ ने कहा, “ये सभी विधायी नीति के मामले हैं।” याचिका में सभी उच्च न्यायालयों को छह महीने के भीतर चुनाव याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले खर्च की कोई सीमा नहीं है। याचिकाकर्ता ने चुनाव याचिकाओं की सुनवाई को संबोधित करते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 86 का भी हवाला दिया था।