सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के कार्यान्वयन को रोकने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।,
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के वकील कपिल सिब्बल की दलीलों को सुना। इसके बाद सीजेआई ने कहा, “हम इस पर मंगलवार को सुनवाई करेंगे। सीजेआई ने कहा कि 190 से अधिक याचिकाएं हैं मामले है उन सभी की सुनवाई की जाएगी। हम अंतरिम आवेदन के साथ सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेंगे।”
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ चुके अनिर्दिष्ट गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता में तेजी लाना था।
नागरिकता कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर आवेदन में अदालत से यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि रिट याचिकाओं पर फैसला आने तक मुस्लिम समुदाय से संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। सीएए के तहत मुस्लिम भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए अयोग्य हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने अदालत में और अदालत के बाहर इस बात को कई बार दोहराया है कि सीएए, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक तौर पर उत्पीड़ित किए जा रहे हिंदू-सिख-जैन-बौद्ध-पारसी और ईसाई अल्प संख्यक समुदाय के वो लोग जो भारत आ चुके हैं उन्हें नागरिकता दी जा रही है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन देशों के मुसलमान भी अगर भारत की नागरिकता लेना चाहते हैं वो भी आवेदन कर सकते हैं। सरकार उनको भी नागरिकता से इंकार नहीं कर रही है लेकिन जो औपचारिकताएं हैं वो उनको पूरी करनी होगी।