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दिल्ली शराब नीति घोटालाः सुप्रीम कोर्ट से झटका सिर्फ सिसोदिया को नहीं, संजय सिंह को भी- कैसे? पढ़े यहां पूरा विश्लेषण

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से न केवल सिसोदिया बल्कि संजय सिंह के मामले में संकट गहराता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा है कि इस मामले में मनी ट्रेल टेंटेटिवली एस्टेब्लिशड है। आम आदमी पार्टी के नेता कोर्ट या कोर्ट के बाहर यह नहीं कह पाएंगे कि अभी तक जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार साबित नहीं कर पाई हैं।

दिल्ली एक्साइज स्कैम में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएस भट्टी ने की।

न्यायमूर्ति जस्टिस संजीव खन्ना ने जमानत याचिका को खारिज किए जाने का फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘हमने तर्कों और कुछ कानूनी प्रश्नों का उल्लेख किया है लेकिन हमें अधिकांश का उत्तर नहीं मिला है। विश्लेषण में, कुछ ऐसे पहलू हैं जो ₹ 338 करोड़ के हस्तांतरण के संबंध में संदिग्ध हैं, हस्तांतरण अस्थायी रूप से स्थापित किया गया है। इसलिए हम जमानत खारिज करते हैं।

मनीष सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली एक्साईज स्कैम में सीबीआई और ईडी ने केस दर्ज किया है। सिसोदिया फरवरी से जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले वो दिल्ली हाई कोर्ट गए थे जहां कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए मनीष सिसोदिया के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ करप्शन का कोई मामला नहीं बनता है। सीबीआई के आरोप में अपराध का कोई संकेत नहीं है और करप्शन का कोई आरोप पुख्ता नहीं है। इस तरह देखा जाए तो ईडी का मामला भी नहीं बनता है।

इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया था कि अगर रिश्वतखोरी के मामले में अपराध के संकेत नहीं है तो फिर पीएमएलए का केस साबित करना मुश्किल है। ईडी और सीबीआई के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि पूर्वानुमान के आधार पर आप चल नहीं सकते हैं। इस पर एजेंसियों के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दिल्ली एक्साइज घोटाले में मनीष सिसोदिया की मनी ट्रेल के सबूत पेश किए थे। पिछली सुनावाई पर दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखते हुए 30 अक्टूबर को फैसला सुनाने का आदेश पारित किया था।

आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाही शुरू करते ही मनीष सिसोदिया की बेल पर फैसला सुनाना शुरु किया और कहा कि चूंकि ट्रायल के प्राथमिक तौर पर इस घोटाले में मनीष सिसोदिया की मनी ट्रेल साबित की गई है इसलिए फिल्हाल उनकी जमानत याचिका खारिज की जाती है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि इस केस की ट्रायल 6 से आठ महीने के भीतर पूरी की जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो मनीष सिसोदिया जमानत के लिए फिर से याचिका दायर कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि किसी भी आरोपी को अनंत काल के लिए सलाखों के भीतर नहीं रखा जा सकता।

मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज किए जाने और जांच एजेंसियों के मनी ट्रेल के सबूतों को अस्थाई मान्यता दिए जाने से अब आम आदमी पार्टी के दूसरे नेता राज्यसभा सांसद संजय सिंह के मुकदमे पर असर पड़ने की आशंका गहरा गई है। ईडी और सीबीआई ने सांसद संजय सिंह को भी लगभग उन्हीं आरोपों में गिरफ्तार किया है जिनमें मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की गई है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निकटम और सबसे विश्वसनीय सहयोगी सिसौदिया को 26 फरवरी को कथित शराब घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने भी उन्हें तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद 9 मार्च को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।

मनीष सिसोदिया को दो मामलों का सामना करना पड़ रहा है – एक-एक सीबीआई और एक ईडी द्वारा दर्ज मामले का।

सीबीआई का आरोप है कि शराब कंपनियां एक्साईज नीति को तैयार करने में शामिल थीं, जिससे उन्हें 12 प्रतिशत का लाभ होता। एक शराब लॉबी जिसे “साउथ ग्रुप” कहा जाता था, ने रिश्वत का भुगतान किया था, जिसका एक हिस्सा लोक सेवकों को दिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने रिश्वत और मनी लॉंड्रिंग का आरोप पंजीकृत किया है।

मनीष सिसोदिया एजेंसियों के खिलाफ 30 मई को दिल्ली हाईकोर्ट भी गए थे मगर दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसौदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि मनीष सिसोदिया एक “हाई-प्रोफाइल” व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने गिरफ्तारी के बाद 28 फरवरी को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। वह उस समय आबकारी विभाग सहित 18 मंत्रालयों का काम संभाल रहे थे।

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About the Author: Neha Pandey

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