सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि जमीन विवाद से जुड़े सभी मुकदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा की इस मामले से सम्बन्धित सारे मामलों की एक साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हो तो बेहतर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की “मुकदमेबाजी की बहुलता और ऐसे मामलों को लंबा खींचना किसी के हित में नहीं है, हमारे पास इसका इतिहास है। ऐसे मामलों के लंबित रहने से किसी न किसी तरह से बेचैनी पैदा होती है और बेहतर होगा कि इसका निपटारा हाईकोर्ट द्वारा किया जाए”।
सुप्रीम कोर्ट, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में ट्रस्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि जमीन से विवाद से जुड़े सारे मुकदमे जिला न्यायालय मथुरा, उत्तर प्रदेश से अपने पास ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
शाही ईदगाह मस्जिद समिति की सर्वोच्च न्यायालय में दायर की याचिका में हाई कोर्ट के 26 मई के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का फैसला तथ्यों और कानून के आधार पर सही नहीं है। इतना ही नहीं उच्च न्यायालय का फैसला, याचिकाकर्ता के अपील के वैधानिक अधिकार को नकार देता है क्योंकि यह मुकदमे के दो अपीलीय चरणों को छीन लेता है।
26 मई को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा के जिला न्यायाधीश के समक्ष इस मामले से संबंधित सभी याचिकाओं को खुद के पास ट्रांसफर कर लिया था।
इलाहाबाद में स्थानांतरण याचिका विष्णु शंकर जैन-हरि शंकर जैन द्वारा दायर की गई थी और इसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रभाष पांडे और प्रदीप कुमार शर्मा ने किया था। उन्होंने लाखों भगवान कृष्ण भक्तों के लिए लंबित मामलों के महत्व पर जोर दिया और तर्क दिया कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है।
दरअसल हिंदू पक्ष का यह दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी। 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया गया था।इसके बाद मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई मथुरा में कुल 13.37 ज़मीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास करीब 10.9 एकड़ का और शाही ईदगाह के पास ढाई एकड़ पर मालिकाना हक है। इतना ही नहीं हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और यह जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि को सौंपने की मांग कर रहा है।