अक्टूबर 2016 को केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने सही ठहराया है। हालांकि बैंच ने यह फैसला 4ः1 के आधार पर दिया है। मतलब यह कि पांच जजों की संवैधानिक पीठ में से जस्टिस नागरथ ने नोटबंदी पर सहमति नहीं जताई है। जब कि जस्टिस एसए नजीर, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस वी रामासुब्रमनियन ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के वकीलों की दलील सुनने के बाद हम लोग इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक नोटबंदी के लिए छह महीने से लगातार संपर्क में थे और बैठकें इत्यादि कर रहे थे।
केंद्र सरकार ने नोटबंदी के प्रभावों की गहराई से समीक्षा थी। सरकार नोटबंदी के परिणामों से अवगत थी और उससे निपटने की नीति भी बनाई गई थी। देश हित और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर केंद्र सरकार ने नोटबंदी का फैसला किया है।
वहीं जस्टिस नागरथ ने नोटबंदी से असहमति दर्ज कराते हुए अपना फैसला अलग सुनाया और कहा है कि रिजर्व बैकं के पास नोटबंदी की अपनी कोई योजना नहीं थी। रिजर्व बैंक ने यह फैसला सरकार के दबाव में लिया। इस फैसले से कई तरह के भ्रम और भ्रांतियां फैलीं और जनता को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ा।