साल 2009 में 7 साल के एक अवोध बालक की हत्या के आरोप में दोष सिद्ध पाए गए अभियुक्त को दी गई मौत की सजा सुप्रीम कोर्ट ने कम कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने अभियुक्त सुंदरराजन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। सुंदरराजन को कम से कम 20 साल जेल में रहने पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुंदरराजन की मौत की सजा को कम कर दिया, जिसे 2009 में एक 7 वर्षीय लड़के के अपहरण और हत्या का दोषी पाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सुंदरराजन की मौत की सजा कम करते हुए अपने आदेश में लिखा है कि- ‘याची अभियुक्त को मृत्युदंड सुनाया जा चुका है। उसने मोहम्मद आरिफ जजमेंट के आधार पर उसकी दोषसिद्धि पर फिर से विचार करने की याचिका दाखिल की है। इस जजमेंट की समीक्खुषा ली अदालत में होनी चाहिए। हम याचिकाकर्ता के अपराध पर संदेह करने का कोई कारण नहीं देखते हैं। दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने के लिए समीक्षाधीन शक्तियों का प्रयोग करना न्यायसंगत नहीं है। किंतु हम मौत की सजा को 20 साल की कैद में बदलते हैं।’
सुप्रीम कोर्ट ने कुड्डालोर पुलिस अधिकारी के खिलाफ अदालत के समक्ष गलत हलफनामा दाखिल करने के लिए अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने “पुलिस अधिकारी कुड्डालोर को नोटिस दिया कि अदालत में दायर हलफनामे के अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया कि वह अधिकारी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू करे।”
शीर्ष अदालत के 2013 के फैसले के खिलाफ सुंदरराजन द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका में फैसला सुनाया गया था, जिसमें मौत की सजा को बरकरार रखा गया था।