सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाए गए तीन चीतों की दो महीने से भी कम समय में मौत पर गंभीर चिंता जाहिर की है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से कहा कि ऐसा लगता है कि कूनो नेशनल पार्क इतनी बड़ी संख्या में चीतों के लिए पर्याप्त नहीं है और सरकार उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती है। इतना ही नही अदालत ने केंद्र सरकार से उन्हें राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करने को कहा है।
इसी साल 27 मार्च को (नामीबिया से लाई गई) साशा नाम की एक मादा चीता की किडनी की बीमारी और बीते 23 अप्रैल को (दक्षिण अफ्रीका से लाए गए) उदय नामक चीते की कार्डियो-पल्मोनरी फेल्योर के कारण मौत हो गई थी।
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘दो महीने से भी कम समय में तीन (चीतों की) मौत गंभीर चिंता का विषय है। हमनें मीडिया में विशेषज्ञों की राय और उनके लेखों भी पढ़ा है। ऐसा प्रतीत होता है कि कूनो इतने सारे चीतों के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार राजस्थान में उपयुक्त स्थान की तलाश क्यों नहीं करते? केवल इसलिए कि राजस्थान में किसी दूसरी पार्टी की सरकार है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इस पर विचार नहीं करेंगे।
वही केंद्र सरकार तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बेंच को बताया कि टास्क फोर्स उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने सहित सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही है।
जिसपर पीठ ने कहा कि रिपोर्टों से ऐसा प्रतीत होता है कि सहवास को लेकर दो नर चीतों के बीच लड़ाई के दौरान घायल होने के बाद एक चीते की मौत हो गई और एक की किडनी संबंधी बीमारी से मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई जे दौरान यह बातें कही है।