समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान की सदस्यता रद्द होने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। अब्दुल्ला आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर हाई कोर्ट के फैसले को चुनोती दी है। अब्दुल्ला आजम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया। कोर्ट ने खान के वकील को कहा की वो याचिका की एक कॉपी यूपी सरकार
को भी दे। 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा।
दरसअल अब्दुल्ला आजम खान ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की है।
5 अप्रैल को अगली सुनवाई। सुनवाई के दौरान अब्दुल्ला आजम खान के वकील विवेक तन्खा ने कहा कि धरने के समय की मेरी जन्मतिथि देख लीजिए उस समय मैं जुवेनाइल था और उस समय के आधार पर ही आज 2 साल की सजा नहीं दे सकते। जब मैं जुवेनाइल था तो कैसे सजा दी गई। हम दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं, मै उस समय 15 साल का था।
कोर्ट – जुवेनाइल का मुद्दा आपको निचली उठाना चाहिए था। अब्दुल्ला आजम के वकील ने कहा कि हमने ये मुद्दा उठाया था लेकिन लोवर कोर्ट ने खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट मामले को लंबा खींचता रहा और खारिज कर दिया।
अब्दुल्ला आजम के वकील ने यह भी कहा कि मेरे पिता धरना दे रहे थे और मैं कार मे बैठा था तो कैसे आरोपी बन गया कुल 9 लोग आरोपी थे। सात बरी हो गए और मैं और मेरे पिता आजम खान दोषी करार दिए गए।जब मैं आज कोर्ट मे सुनवाई के लिए आया तब चुनाव घोषित कर दिया गया। दरसअल ही उपचुनावों की घोषणा हुई है। 13 अप्रैल की तारीख को चुनाव घोषित कर दिया गया।
15 साल पहले 29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था जिससे उनके समर्थक भड़क गए थे। इसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया था। इस हंगामे में अब्दुल्ला समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था।पुलिस ने इस मामले में हंगामा करने वाले सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था।