राजस्थान उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को संजीवनी सहकारी समिति मामले में अंतरिम राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश पारित कर दिया।
मंत्री ने इस मामले में राहत के लिए एक आपराधिक विविध याचिका दायर की थी। हालांकि ₹900 करोड़ से अधिक के कथित घोटाले के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में उनका नाम आरोपी के रूप में नहीं है। राजस्थान स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप मामले की जांच कर रहा है।
न्यायमूर्ति कुलदीप माथुर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। अदालत ने इसके बाद मामले को तीन सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
शेखावत ने मामले में प्राथमिकी को रद्द करने और सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने के लिए 24 मार्च को एक याचिका दायर की थी। उनके वकील धीरेंद्र सिंह दासपन ने कहा कि उन्होंने इस आधार पर जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की कि इस मामले में राज्य का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
इसलिए, केंद्रीय मंत्री का यह कदम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार हमले के बाद आया, जिसमें उन पर और उनके परिवार पर जमाकर्ताओं के पैसे की हेराफेरी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, ताकि उनकी जमा राशि पर भारी रिटर्न मिल सके।
शेखावत ने गहलोत के खिलाफ दिल्ली की अदालत में एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा भी दायर किया, जिसमें कहा गया कि कांग्रेस नेता ने झूठे आरोप लगाए जिससे उनकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हुई।