सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक सेवानिवृत्त कर्नल को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की, जिनके खिलाफ मणिपुर पुलिस ने जनवरी 2022 में प्रकाशित उनकी पुस्तने मंगलवार को एक सेवानिवृत्त कर्नल को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की, जिनके खिलाफ मणिपुर पुलिस ने जनवरी 2022 में प्रकाशित उनकी पुस्तक की सामग्री के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी। शीर्ष अदालत ने एक प्रोफेसर को सार्वजनिक रूप से दिए गए उनके कथित भाषण के आधार पर दर्ज एक अन्य प्राथमिकी के संबंध में संभावित दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण दिया हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस दलील पर ध्यान दिया कि कोई भी वकील अपने मामलों को लेने और मणिपुर उच्च न्यायालय में पेश होने के लिए तैयार नहीं हैं। पीठ ने कहा, हम याचिका पर नोटिस जारी रहे है और अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।
मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “एक वर्ग द्वारा सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का एक पैटर्न है” और पीठ से ऐसी याचिकाओं पर विचार न करने का आग्रह किया, जिन्हें मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा निपटाया जा सकता है।
सेवानिवृत्त सेना अधिकारी ने उनकी पुस्तक “द एंग्लो-कुकी वॉर 1917-1919” से संबंधित उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को चुनौती दी थी। इसे जनवरी 2022 में रिलीज़ किया गया था।
हेन्मिनलुन के खिलाफ उनके कथित नफरत भरे भाषणों के लिए एक और एफआईआर दर्ज की गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि एक मामले में पेश हो रहे वकीलों को हटना पड़ा क्योंकि उनके चैंबर में तोड़फोड़ की गई थी और उन पर हमला हुआ था।