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मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा 6 जून को हाईकोर्ट से राहत न मिले तो याचिकाकर्ता अपील दाखिल करें

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मणिपुर हिंसा के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस संबंध में उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका लंबित है। ऐसे में याचिका कर्ताओं को अगर वहां से रिलीफ नहीं मिलता है तो सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। दरअसल, मैती समुदाय को जनजाति में शामिल करने को लेकर मणिपुर में दंगा-फसाद और आगजनी की घटनाएं हुई थीं। कई लोग मारे भी गए थे। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने का आदेश भी मणिपुर उच्च न्यायालय ने दिया था। इसमें सरकार की सीधे कोई दखलअंदाजी नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से मणिपुर के मैती समुदाय को हाई कोर्ट से मिली राहत फिलहाल बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी “कोर्ट ने कहा कि हम राजनीति और पॉलिसी के एरिया में नही जाएंगे, ये संवैधानिक कोर्ट है। हम केवल राहत देने के लिए है”। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा हाई कोर्ट की डबल बेंच के समक्ष अपनी बातों को रहे। मणिपुर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के आदेश को लागू करने के किये हमें एक साल का समय दिया है।

इधर ताजा खबरों के मुताबिक उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में दो समुदायों के बीच टकराव के बाद हिंसा भड़क गई थी। तीन दिन तक चले हिंसा के दौर में जमकर आगजनी और पत्थरबाजी की गई। इसके बाद राज्य में इंटरनेट सेवाएं फिर बंद कर दी गई थीं। सरकार के अनुसार सुरक्षाबलों ने उपद्रवियों पर नियतंत्र कर लिया है। पूरे क्षेत्र में शांति है लेकिन तनाव की आशंका है। इसलिए इंटरनेट पर पावंदी बढ़ा दी गई है।
16 मई को जारी हुए इस आदेश में आगे कहा गया कि जनहित में कानून व्यवस्था बनाए रखने, देश विरोधी और असामाजिक तत्वों की साजिश और गतिविधियों को विफल करने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखऩे और किसी भी नुकसान को रोकने के लिए अभी भी पर्याप्त उपाय करना जरूरी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के जरिए झूठी अफवाहों और दुष्प्रचार को रोकने के लिए इंटरनेट पर लगी पाबंदी को और पांच दिन बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
मणिपुर की बहुसंख्यक आबादी मैतेई और आदिवासी समुदाय कुकी के बीच एसटी आरक्षण को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। बीते तीन मई को अचानक इस विवाद ने हिंसक टकराव का रूप ले लिया और देखते ही देखते आधा मणिपुर हिंसा की आग में जलने लगा। कुल 16 में से 10 जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। दोनों समुदाय के लोगों को अपने घर-बार छोड़कर पड़ोस के राज्यों में शरण लेना पड़ा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हिंसा में करीब कई लोगों की जान गई और 230 जख्मी हो गए। करीब 1700 घरों को दंगाईयों ने जला दिया। हिंसा के करीब दो हफ्ते बाद भी राज्य में हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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