प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय मिश्रा के सेवा विस्तार के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘ईडी और सीबीआई’ के निदेशकों की सेवा विस्तार के लिए केंद्र द्वारा लाए गए संशोधन ठीक हैं लेकिन संजय मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार देना अवैध है।
सुप्रीम कोर्ट से संजय मिश्रा को 31 जुलाई से ज्यादा सेवा विस्तार की इजाजत नहीं दी जा सकती। आपके पास नया निदेशक नियुक्त करने के लिए पर्याप्त समय है। केंद्र के सेवा विस्तार के मुताबिक संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर तक था। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से केंद्र सरकार को झटका लगा है।
दरअसल, ईडी के निदेशक का कार्यकाल 18 नवंबर 2022 को पूरा हो गया था लेकिन केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया था। संजय मिश्रा को 19 नवंबर 2018 को ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था।
2021 में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए प्रावधान किया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। साफ-सुथरी छवि के अफसरों में गिने जाने वाले संजय मिश्रा के कार्यकाल में ईडी ने विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच की। इस दौरान संजय मिश्रा के कार्यकाल में पहली बार ईडी ने आरोपियों से करोड़ों रुपये वसूले और बैंकों ने भी 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा वसूले।
इतना ही नहीं, संजय मिश्रा के कार्यकाल के दौरान ईडी ने टेरर फंडिंग का खुलासा करते हुए मामले में दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की संपत्ति भी जब्त की थी।
इसके अलावा संजय मिश्रा के कार्यकाल में ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, डीके शिवकुमार, प्रफुल्ल पटेल, अभिषेक बनर्जी समेत कई विपक्षी राजनेताओं से भी पूछताछ की गई थी। जबकि उनके कार्यकाल के दौरान अनिल देशमुख, नवाब मलिक, संजय राउत, पार्थ चटर्जी समेत विपक्षी दलों के कई अन्य नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था।