
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील को फालिज के शिकार मुवक्किल को व्हीलचेयर पर कोर् रूम में ले जाना भारी पड़ गया। वकील की इस हरकत पर कोर्ट बुरी तरह भड़क गई और मुकदमे को अपनी कोर्ट से ही हटा कर चीफ जस्टिस के पास भेज दिया।
दरअसल यह मामला एक बीमा कंपनी से मिलने वाले मुआवजे से जुड़ा था। कोर्ट ने नवंबर 2019 में नोटिस जारी करते हुए बढ़ा मुआवजा देने पर रोक लगा दी थी। 5 अप्रैल को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल यानी याचिकाकर्ता खुद कोर्ट में मौजूद हैं। वकील की इस दलील पर बेंच नाराज हो गई और बेंच को लगा कि वकील ने जानबूझकर सहानुभूति हासिल करने के लिए याचिकाकर्ता को व्हीलचेयर के साथ पर कोर्ट में पेश कर दिया।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस PV संजय कुमार की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि ‘याचिकाकर्ता के वकील कह रहे हैं कि वो पैरालाइज्ड हैं और कोर्ट में सुनवाई के लिए मौजूद हैं। हमें समझ में नहीं आ रहा है कि याचिकाकर्ता को कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर आने की क्या आवश्यकता पड़ी? खासकर ऐसी स्थिति में जब उनकी शारीरिक स्थिति ठीक नहीं है। कोर्ट ने तो कभी उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा ही नहीं और न ही ऐसी उम्मीद की’। बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि मामले की सुनवाई बगैर याचिकाकर्ता के व्यक्तिगत मौजूदगी के भी हो सकती थी।
बेंच की नाराजगी इतनी बढ़ी कि मामले को अपने पास से ही हटा दिया और मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया। बेंच ने आदेश दिया कि इस मामले को दोबारा CJI के सामने रखा जाए, ताकि वह किसी और बेंच को इसे असाइन कर सकें।