सुप्रीम कोर्ट ने पुणे लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव कराने के लिए भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को दिए गए बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को रोक लगा दी है। 29 मार्च, 2023 को सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद से यह सीट खाली है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 13 दिसंबर, 2023 के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली ईसीआई द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश दिया।
पीठ ने वर्तमान मामले में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151ए की प्रयोज्यता पर गौर किया। इस प्रावधान के अनुसार, यदि रिक्ति से संबंधित शेष अवधि एक वर्ष से कम है, तो ईसीआई रिक्त सीट को भरने के लिए उपचुनाव कराने के लिए बाध्य नहीं है। पीठ ने उल्लेख किया कि वह मामले को मार्च या अप्रैल के लिए निर्धारित करेगी और कानूनी सिद्धांत स्थापित करेगी।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात पर प्रकाश डाला कि लोकसभा सचिव की अधिसूचना में 29 मार्च, 2023 से रिक्ति की पुष्टि की गई थी, जबकि वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून, 2024 को समाप्त हो रहा है।
न्यायमूर्ति जीएस पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने ईसीआई के उस तर्क को खारिज कर दिया कि उपचुनाव आयोजित करना चुनौतीपूर्ण था।
पीठ ने संसदीय लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधियों की आवश्यक भूमिका पर जोर देते हुए इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचन क्षेत्र एक निर्धारित अवधि से अधिक प्रतिनिधित्व के बिना नहीं रह सकते।
न्यायालय ने ईसीआई के रुख में असंगतता पर जोर दिया, क्योंकि पुणे सीट खाली होने के बाद से उसने विभिन्न विधान सभा और लोकसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव कराए थे।