भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अवधारणा है कि अदालतें पूरी तरह अत्याधुनिक हों और भविष्य की तकनीति से संपन्न होनी चाहिए। आगामी 3 जुलाई से, सुप्रीम कोर्ट की पहली तीन अदालतें पूरी तरह से नई तकनीक के साथ भविष्य की अदालतों में तब्दील हो जाएँगी, और वे पेपरलेस भी होंगी।
गत दिवस ई-अदालतों के डेटा प्रबंधन की जानकारी हासिल करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) का दौरा किया।
चंद्रचूड़ ने दिल्ली में सीजीओ कॉम्प्लेक्स में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के मुख्यालय और शास्त्री पार्क में एनआईसी डेटा सेंटर का दौरा किया, यह देखने के लिए कि डेटा सेंटर कैसे संचालित और प्रबंधित किया जाता है।
सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के अन्य सदस्यों ने एनआईसी के अधिकारियों के साथ ई-अदालतों के डेटा प्रबंधन पहलू पर चर्चा की।
अधिकारियों के मुताबिक, सीजेआई ने डेटा की सुरक्षा से जुड़े कई सवाल पूछे और एनआईसी के विशेषज्ञों ने उनके जवाब दिए. इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या सुप्रीम कोर्ट के डेटा के लिए अलग से समानांतर कार्यक्रम की जरूरत है.
सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध विवरण के अनुसार, ई-अदालत परियोजना के तीसरे चरण में न्याय मांगने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अधिक सुलभ, कुशल और न्यायसंगत वितरण प्रणाली की परिकल्पना की गई है, या जो न्याय प्रक्रिया के वितरण का हिस्सा है। परियोजना के तीसरे चरण के लिए 2023 का बजट 7,000 करोड़ रुपये है।