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तमिलनाडु में RSS का रूट मार्च: सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

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तमिलनाडु राज्य द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आदेश को सुरक्षित कर लिया है। मद्रास उच्चन्यायालय की एकल पीठ ने राज्य सरकार एंव तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया था कि आरएसएस को किसी शर्त के रूट मार्च निकालने की अनुमति दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी . रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने तमिलनाडु सरकार के वकील दलीलें सुनने के बाद कहा, “हम विचार करेंगे और आदेश पारित करेंगे।”

राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने उन पांच स्थानों की सूची प्रस्तुत की जहां रूट मार्च आयोजित किया जा सकता है और यह कहते हुए कि एक ही दिन में पचास स्थानों पर रूट मार्च आयोजित नहीं किया जा सकता है। कानून और व्यवस्था के मुद्दे और यह कि राज्य पूरी तरह से रूट मार्च के संचालन के खिलाफ नहीं है।

आरएसएस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि सरकार के पास रूट मार्च रोकने का कोई मजबूत कारण नहीं है। निकालने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि इनडोर रूट मार्च अर्थहीन हैं क्योंकि रूट मार्च जनता के लिए आयोजित किए जा रहे हैं न कि अकेले संगठन के सदस्यों के लिए।

जेठमलानी ने कहा कि सरकार के बताए गए उदाहरण जुलूस के दौरान हिंसा के मामले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा उजागर की गई घटनाओं में आरएसएस पीड़ित है। तथ्य यह है कि एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इस संगठन के सदस्यों पर हमला करना जारी रखता है, यह गंभीर चिंता का विषय है।

जेठमलानी ने यह भी कहा कि उजागर की गई हिंसा की घटनाएं पीएफआई पर प्रतिबंध से पहले की हैं। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक व्यवस्था का मुद्दा नहीं है बल्कि हिंसा पैदा करने वाले एक संगठन का है।

उन्होंने कहा, “आप सरकार नियंत्रित नहीं करना चाहती क्योंकि उसके मन में उनके लिए सहानुभूति है”, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया था तो ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से कानून व्यवस्था बहाल हुई है। रूट मार्च पर रोक लगाना, “लोकतांत्रिक देश में यह असहनीय है और दिखावटी आधार पर मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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