भारत की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में आज 3 जुलाई से पेपरलेस ग्रीन कोर्ट रूम की शुरुआत हो गई है। इस पेपरलेस ग्रीन कोर्ट रूम की शुरुआत के बाद अब सुप्रीम कोर्ट अब पूरी तरह से हाईटेक हो गया है। अत्याधुनिक आधुनिक तकनीक के प्रयोग होने से न्यायाधीशों के लिए पॉप-अप स्क्रीन दस्तावेजों की भौतिक प्रतियों की जगह पेपरलेस ग्रीन कोर्ट ने ले ली है। इसने एक डिजिटल लाइब्रेरी कानून से संबंधित पुस्तकों की जगह ले ली है। 73 सालों के इतिहास में अब भारतीय न्यायपालिका के पूरी तरह हाईटेक होने की शुरुआत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की पहली 3 कोर्ट ग्रीन हाईटेक कोर्ट बनीं हैं. अब न फाइलें होंगी न कोर्ट रूम में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की किताबें यहां नजर आएंगी।
सुप्रीम कोर्ट में इस हाईटेक शुरुआत को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की नई पहल के रूप में देखा जा रहा है। सोमवार से फ्यूचरिस्टिक अदालतों की शुरुआत हो चुकी है। इन अदालतों के कक्षों में बड़े एलसीडी लगाए गए हैं और वकीलों के लिए भी हाईटेक सुविधाएं शुरू की गई हैं। कम्प्यूटर के जरिए कागजात जजों को दिखाए जा सकेंगे। जज भी कानून की किताबों की जगह डिजिटल तरीके से विभिन्न फैसले देख सकेंगे। कोर्ट 1 से 5 के अलावा कॉरिडोर, मीडिया रूम, वेटिंग रूम आदि में वादियों, वकीलों और मीडियाकर्मियों के लिए वाई फाई की शुरुआत की गई है।
गर्मियों की छुट्टियां खत्म होते ही कोर्ट खुलने पर आज यानी 3 जुलाई से जजों और वकीलों को कोर्ट परिसर में बदलाव नजर आ रहा है। अभी सुप्रीम कोर्ट की सिर्फ तीन अदालतों को ही फ्यूचरिस्टिक अदालत बनाया गया है। धीरे-धीरे बाकी कोर्ट रूम्स को भी फ्यूचरिस्टिक अदालतों में परिवर्तित कर दिया जाएगा।