सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है ।
उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की पीठ से कहा, “यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है और आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देना समाज को गलत संदेश देगा।”
जिसपर पीठ ने पूछा, ” चलिए एक बार को हम मान ले की प्रथम दृष्टया यह मान रहे हैं कि वह शामिल है और वह एक आरोपी है और निर्दोष नहीं है। क्या यह राज्य की दलील है कि उसने सबूत नष्ट करने का प्रयास किया है?” जिस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जवाब दिया, “अब तक ऐसा नहीं हुआ है।”
वही पीड़ितों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, “आशीष मिश्रा को जमानत देने से समाज में एक गलत संदेश जाएगा, क्योंकि यह एक साजिश के तहत एक सुनियोजित हत्या है और मैं इसे चार्जशीट के जरिये साबित करूँगा ।
आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दवे की दलील का कड़ा विरोध करते हुए कहा की ‘यह क्या है? कौन शक्तिशाली है? हम रोज सामने आ रहे हैं। क्या जमानत न देने की यह शर्त हो सकती है?, शिकायतकर्ता जगजीत सिंह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता, इसके चश्मदीद गवाह नहीं हैं और उनकी शिकायत सिर्फ और सिर्फ अफवाह पर आधारित है। मुझे आश्चर्य है कि जब बड़ी संख्या में लोग कहते हैं कि हमने लोगों को निर्दयता से दौड़ाया, तो एक व्यक्ति के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की जाती है प्रत्यक्षदर्शी नहीं?” “मेरे मुवक्किल को पहली बार में जमानत मिल गई। यह एक मुर्गा और बैल की कहानी नहीं है और मेरी कहानी में सच्चाई है,” मुकुल रोहतगी ने ये भी कहा कि उनका मुवक्किल अपराधी नहीं है और उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में उस समय हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार था।
हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में आशीष मिश्रा को जमानत दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर मामले को पुनर्विचार के लिए वापस हाईकोर्ट भेज दिया था । हाई कोर्ट ने दोबारा सुनवाई के बाद पिछले साल जुलाई में जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद आशीष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।