ENGLISH

यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष को पद से हटाए जाने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

UP Vidhan Parishad, Supreme Court

आज से तीन साल पहले उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिए हैं।

याचिका की सुनवाई कर रही सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि अगर विपक्ष मौजूद है तो उसका नेता भी होना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह मामला पिछली लोक सभा में भी उठा था।

दरअसल, जुलाई 2022 में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में कुछ सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या सदन के कुल सदस्यों की संख्या के 10 फीसदी से कम हो गई थी। इसलिए तत्कालीन विधान परिषद सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सपा नेता लाल बिहारी यादव को दी गई नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म कर दी थी।

लाल बिहारी यादव, विधानपरिषद सभापति के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट गए, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभापति के फैसले को सही मानते हुए लाल बिहारी यादव की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद लाल बिहारी यादव ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका डाली और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए बने नियम को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में नोटिस कर जवाब मांगा है।

Recommended For You

About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *