सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से देश भर में गैर-हरित पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रोटोकॉल को मजबूत करने के लिए किए गए उपायों से अवगत कराने को कहा है।
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र और नियामक निकायों से उसे उन कदमों के बारे में सूचित करने को कहा जो प्रतिबंधित पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए नियामक तंत्र को लागू करने के लिए उठाए जा सकते हैं।
सुनवाई के दौरान कुछ निर्माताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि पीईएसओ, सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) जैसे विशेषज्ञ निकायों ने हरित पटाखों और अब गुणवत्ता के मुद्दे से निपटा है। नियंत्रण ही एकमात्र ऐसी चीज़ थी जिस पर ध्यान देना बाकी था।
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ निकाय हरित पटाखों के लिए दिशानिर्देश और रासायनिक सूत्र लेकर आए हैं और अब पीईएसओ को उत्पादन और बिक्री की निगरानी करने की अनुमति दी जाएगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी भाटी ने कहा कि पीईएसओ जैसे विशेषज्ञ निकायों ने हरित पटाखों पर कई फैसले लिए हैं।
इसके बाद पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से उसे नियामक प्रोटोकॉल को मजबूत करने के उपायों से अवगत कराने को कहा और याचिका पर आगे की सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की।
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में कहा था कि हालांकि पटाखों के इस्तेमाल पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन बेरियम लवण वाले पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा।
शीर्ष अदालत 2015 में अर्जुन गोपाल की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।