सुप्रीम कोर्ट ने 13 उम्रकैदियों की समय पूर्व रिहाई की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने कोरोना के दौरान जमानत और पैरोल पर बाहर आ चुके याचिकाकर्ता उम्रकैदियों को अगले आदेश तक समर्पण से छूट भी दे दी है।
हालांकि, इनमें से 12 उम्रकैदी वापस समर्पण कर चुके हैं और अब इन कैदियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत अर्जी दी गई है जिस पर कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा।
उम्रकैद की सजा पाए और 14 से लेकर 20 वर्ष तक का कारावास भुगत चुके 13 उम्रकैदियों कुलदीप , राजीव, संदीप, प्रमोद गोस्वामी, किशन, छत्तर सिंह, राम सिंह, विजय पाल, मौइनुद्दीन, मोहम्मद अहद, सुरेन्दर कुमार, प्रकाश और मोती उर्फ मोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली की 16 जुलाई 2004 की समय पूर्व रिहाई नीति के मुताबिक समय पूर्व रिहाई दिये जाने की मांग की है।
उम्रकैदियों के वकील ऋषि मल्होत्रा ने समय पूर्व रिहाई की मांग करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता 14 से लेकर 20 वर्ष का कारावास भुगत चुके हैं और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा मंजूर 16 जुलाई, 2004 की समय पूर्व रिहाई नीति के मुताबिक रिहाई की पात्रता रखते है, लेकिन उनकी समय पूर्व रिहाई अर्जी पर विचार नहीं हो रहा और वे लगातार जेल भुगत रहे हैं।
मल्होत्रा ने कहा कि दिल्ली में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (एसआरबी) मामले को जघन्य कह कर समय पूर्व रिहाई की अर्जी खारिज कर देता है, लेकिन हत्या का तो हर मामला ही जघन्य कहा जाएगा। कुछ मामलों में तो बोर्ड ने अर्जी पर विचार ही नहीं किया है।
कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। इसके बाद मल्होत्रा ने कहा कि याचिकाकर्ता कोरोना के दौरान कोर्ट के आदेश पर जमानत और पैरोल पर बाहर आ गए थे। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने उस दौरान जमानत या पैरोल पर बाहर आये सभी कैदियों को समर्पण कर वापस जेल जाने का आदेश दिया है, ऐसे में कोर्ट उन याचिकाकर्ताओं को समर्पण करने से अंतरिम राहत दे दी जिन्होंने अभी तक समर्पण नहीं किया है और कहा है जिन्होंने समर्पण कर दिया है उन्हें भी अंतरिम जमानत दे दी जाए।