पत्नि के साथ ‘दुष्कर्म’ के खिलाफ कानून में अपवाद की संवैधानिकता पर कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की है और कहा है कि पत्नि के साथ दुष्कर्म के आरोपी पति के खिलाफ भी वही सलूक होना चाहिए जो किसी अन्य दुष्कर्मी के साथ होता है।
कर्नाटक सरकार ने यह हलफनामा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी पति की सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर मिले नोटिस के जवाब में दिया है।
कर्नाटक सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने कानून के सभी संबंधित सवालों पर विचार किया है, उसी के बाद दुष्कर्मी पति के खिलाफ फैसला सुनाया है।
हलफनामे में कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस याचिका में शामिल कानून के सभी प्रश्नों पर विचार किया है और शीर्ष अदालत के किसी भी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा कि आरोप सही है या नहीं, यह ट्रायल का विषय है और आईपीसी के तहत पतियों को वैवाहिक दुष्कर्म के खिलाफ संरक्षण मिलने के बावजूद आरोपी को इस स्तर पर दोषमुक्त नहीं किया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 375 की क्लॉज-2 पति को वैवाहिक दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी से बाहर करता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 23 मार्च को कहा था कि एक पति को अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप से छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के खिलाफ है।