सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि विकीपीडिया जैसे ऑनलाइन स्रोत ‘क्राउड सोर्स’ यानी अलग अलग विभिन्न लोगों से प्राप्त जानकारी और उपभोक्ताओं द्वारा तैयार संपादन मॉडल पर आधारित हैं जो पूरी तरह भरोसेमंद नहीं हैं। कोर्ट ने कहा की यह भ्रामक सूचनाएं फैला सकते हैं। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि वह उन मंचों की उपयोगिता को स्वीकार करती है, जो दुनिया भर में ज्ञान तक मुफ्त पहुंच प्रदान करते हैं, लेकिन उसने कानूनी विवाद के समाधान में ऐसे स्रोतों के उपयोग को सतर्क रहने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे यह बात कहने का कारण यह है कि ज्ञान का भंडार होने के बावजूद ये स्रोत ‘क्राउड सोर्स’ और उपभोक्ताओं द्वारा तैयार संपादन मॉडल पर आधारित हैं। ऐसे में अकादमिक पुष्टि के मामले में पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं है। यह भ्रामक जानकारी फैला सकते है जैसा कि इस अदालत ने पहले भी कई बार देखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालतों और न्यायिक अधिकारियों को वकीलों को अधिक विश्वसनीय और प्रामाणिक स्रोतों पर भरोसा करने के लिए बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। कोर्ट ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1985 की प्रथम अनुसूची के तहत आयातित ‘ऑल इन वन इंटीग्रेटेड डेस्कटॉप कंप्यूटर’ के उचित वर्गीकरण संबंधी एक मामले को लेकर फैसले में ये सभी टिप्पणियां कीं है।