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जजों की नियुक्ति: केंद्र और न्यायपालिका के टकराव के बीच SC कॉलेजियम ने उठाया सख्त कदम

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहली बार उठाया ऐतिहासिक कदम। जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका के टकराव के बीच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बड़ा और सख्त कदम उठाया है। केंद्र के रुख का जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए। यहां तक कि कॉलेजियम की सिफारिशों में केंद्र की आपत्तियों, रॉ और आईबी की रिपोर्ट का भी हवाला दिया जाए। हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में रॉ और आईबी रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किया केंद्र की आपत्तियों का भी खुलासा किया गया है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के कॉलेजियम ने चार दिनों तक किया विचार विमर्श के बाद लिया फैसला। कॉलेजियम के जजों के अलावा भविष्य के सीजेआई से भी उन्होंने बातचीत की हैं।

कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है कि “रॉ के दो संचार राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में किरपाल के साथी के व्यक्तिगत आचरण या व्यवहार के संबंध में किसी भी आशंका को नहीं दर्शाते हैं। “पूर्व-मानने का कोई कारण नहीं है कि उम्मीदवार का साथी, जो एक स्विस नागरिक है, हमारे देश के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा, क्योंकि उसका मूल देश एक मित्र राष्ट्र है। इसने इस बात पर भी जोर दिया कि वर्तमान और पूर्व संवैधानिक पदाधिकारियों सहित उच्च पदों पर बैठे कई लोगों के पति-पत्नी विदेशी-राष्ट्रीय हैं। प्रस्ताव में यह भी माना गया है कि पुनर्विचार के लिए वापस भेजी जा रही सिफारिशों के बारे में प्रेस को किरपाल की टिप्पणियां शायद नासमझी की हों। बहरहाल, यह तर्क दिया गया कि चूंकि उनका नाम पांच साल से अधिक समय से लंबित था, इसलिए इसे नकारात्मक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए। 13 अक्टूबर, 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से किरपाल की सिफारिश की, और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 11 नवंबर, 2021 को उन्हें मंजूरी दे दी”।

दरसअल पूर्व सीजेआई बीएन कृपाल के बेटे सौरभ कृपाल गे( समलैंगिक है) और उनके पार्टनर स्विस नागरिक है। कॉलेजियम का कहना है कि हरेक व्यक्ति को अपने मन मुताबिक सेक्सुअलओरिएंटेशन रखने का अधिकार हासिलहै। सौरभ कृपाल के अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर खुलेपन के चलते उनकी जज के तौर पर उम्मीदवारी को खारिज नहीं किया जा सकता।उनका व्यवहार हमेशा उत्कृष्ट रहा है और जज के तौर पर उनकी नियुक्ति बेंच में विविधता को बढ़ाएगी लाएगी। कॉलेजियम का ये भी कहना सवैंधानिक पदों पर मौजूद बहुत से लोगों के पार्टनर विदेशी नागरिक रहे है।ऐसे में विदेशी पार्टनर होने की वजह से उनका नाम खारिज करने का कोई औचित्य नहीं है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ ने कॉलेजियम बैठक की है।

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About the Author: Meera Verma

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