भोपाल गैस पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने की मांग वाली केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को आदेश सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के संबंध में लगातार दूसरे दिन केंद्र पर उठाए सवाल पूछा था, कोर्ट ने कहा किसी को भी त्रासदी की भयावहता पर संदेह नहीं है।
फिर भी जहां मुआवजे का भुगतान किया गया है, वहां कुछ सवालिया निशान है। संविधान पीठ ने कहा जब इस बात का आकलन किया गया कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार था, चाहे मानव क्षति के संदर्भ में इसके विशाल की परिकल्पना की गई थी या कम होने की क्योंकि अधिक गंभीर मामलों में यह कम रही है।
बेशक, लोगों ने कष्ट झेला है, कल भी हमने पूछा था कि जब केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है, तो क्यूरेटिव याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं। शायद इसे तकनीकी रूप से न देखें, लेकिन हर विवाद का किसी न किसी बिंदु पर समापन होना चाहिए।
संविधान पीठ ने कहा 19 साल पहले समझौता हुआ था, पुनर्विचार का फैसला आया, सरकार द्वारा कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं हुई 19 साल बाद क्यूरेटिव दाखिल की गई। कोर्ट ने पूछा 34, 38 साल बाद हम क्यूरेटिव क्षेत्राधिकार का प्रयोग किया जा सकता है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अभी भी जारी है।
दअरसल साल 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात में यूनियन कार्बाइड के कारखाने से अचानक लगभग 40 टन ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ गैस का रिसाव हुआ था। ये गैस कुछ ही समय में पूरे भोपाल शहर में फैल गई थी, जिससे वहां अफरा तफरी मच गई थी। इस त्रासदी से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके यूनियन कार्बाइड के कारखाने के आस पास के लोग थे। इस दौरान लोग अचानक बेहोश होकर गिरने लगे थे, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, हादसे में मरने वालों की संख्या 5,295 के करीब थी।