राजस्थान उच्च न्यायालय ने उपमुख्यमंत्री के रूप में दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के “शपथ ग्रहण” को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है, जिसमें तर्क दिया गया था कि संविधान इस पद को मान्यता नहीं देता है।
याचिकाकर्ता, वकील ओम प्रकाश सोलंकी ने भी इन नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की थी।
कार्यवाहक (नामित) मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि जनहित याचिका में पर्याप्त सामग्री का अभाव है और इसे वकील द्वारा महज एक प्रचार स्टंट माना गया। अदालत ने न केवल जनहित याचिका खारिज कर दी, बल्कि याचिकाकर्ता द्वारा राज्य सरकार को भुगतान किए जाने वाले 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
कुमारी और बैरवा के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ शपथ लेने के एक दिन बाद 16 दिसंबर को जनहित याचिका दायर की गई थी।