इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में ३० साल बाद फिर से शुरु की गई पूजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
मस्जिद कमेटी की ओर जिला अदातल द्वारा ३० जनवरी को व्यास जी के तहखाने में पूजा फिर से शुरू किए जाने के आदेश जारी किए थे। वाराणसी के जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद व्यास जी के तहखाने को जाने वाला रास्ता खोला और काशी मंदिर ट्रस्ट के परामर्श से नियुक्त पुजारी को मंदिर में फिर से पूजा शुरू करवाने की व्यवस्था की।
व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू किए जाने के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने उसी रात सुप्रीम कोर्ट को दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से उन्हें निराशा हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने अपील पेश करने की सलाह दी।
सुप्रीम कोर्ट ने निराशा हाथ लगने के बाद मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील लगाई। इससे पहले हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णुजैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट मे कैविएट लगा दिया था। इसलिए 1 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार 2 फरवरी को सुनवाई निर्धारित की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के शुरुआजत में मस्जिद कमेटी की दलीलों को सुनना शुरु किया। इसके बाद हिंदू पक्ष के तर्कों को सुना। मस्जिद कमेटी ओर से पेश हुए वकील हिंदू पक्ष के वकीलों के तर्कों को नहीं काट सके।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने हिंदू पक्ष के वकील यह साबित करने में कामयाब रहे कि 1993 में तत्कालीन सपा सरकार के मौखिक आधार पर व्यास जी के तहखाने में पूजा रोक दी गई थी। पूजा रोके जाने जाने से वाराणसी में किसी तरह का तनाव, आपत्ति या अवरोध नहीं था। औरंगजेब के मंदिर को तोड़ेजाने के बावजूद व्यास जी का परिवार सदियों से उसी स्थान पर पूजा करता चला आ रहा था।
मस्जिद कमेटी के वकीलों के पास हिंदू पक्ष के वकीलों के तर्कों को काटने का कोई भी वैध प्रतितर्क नहीं था। हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से इस प्रकरण में विस्तार से अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी निर्धारित कर दी। मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट के सामने कई बार जोरदार तरीके से कहा कि अगली सुनवाई होने तक के लिए पूजा पर रोक लगा दी जाए। इस पर कोर्ट ने सहमति जाहिर नहीं की। व्यास जी के तहखाने में शुरु हुई पूजा के विरुद्ध मस्जिद कमेटी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।